Saturday, May 27, 2006

सात स्वर, अलंकार और हारमोनियम


भारतीय संगीत आधारित है स्वरों और ताल के अनुशासित प्रयोग पर। सात स्वरों के समुह को सप्तक कहा जाता है। भारतीय संगीत सप्तक के सात स्वर हैं-

सा(षडज), रे(ऋषभ), ग(गंधार), म(मध्यम), प(पंचम), ध(धैवत), नि(निषाद)


अर्थात

सा, रे, ग, म, प ध, नि

सा और को अचल स्वर माना जाता है। जबकि अन्य स्वरों के और भी रूप हो सकते हैं। जैसे 'रे' को 'कोमल रे' के रूप में गाया जा सकता है जो कि शुद्ध रे से अलग है। इसी तरह 'ग', 'ध' और 'नि' के भी कोमल रूप होते हैं। इसी तरह 'शुद्ध म' को 'तीव्र म' के रूप में अलग तरीके से गाया जाता है।


गायक या वादक गाते या बजाते समय मूलत: जिस स्वर सप्तक का प्रयोग करता है उसे मध्य सप्तक कहते हैं। ठीक वही स्वर सप्तक, जब नीचे से गाया जाये तो उसे मंद्र, और ऊपर से गाया जाये तो तार सप्तक कह्ते हैं। मन्द्र स्वरों के नीचे एक बिन्दी लगा कर उन्हें मन्द्र बताया जाता है। और तार सप्तक के स्वरों को, ऊपर एक बिंदी लगा कर उन्हें तार सप्तक के रूप में दिखाया जाता है। इसी तरह अति मंद्र और अतितार सप्तक में भी स्वरों को गाया-बजाया जा सकता है।

अर्थात- ध़ ऩि सा रे ग म प ध नि सां रें गं...

संगीत के नये विद्यार्थी को सबसे पहले शुद्ध स्वर सप्तक के सातों स्वरों के विभिन्न प्रयोग के द्वारा आवाज़ साधने को कहा जाता है। इन को स्वर अलंकार कहते हैं।

आइये कुछ अलंकार देखें

१) सा रे ग म प ध नि सां (आरोह)

सां नि ध प म ग रे सा (अवरोह)

(यहाँ आखिरी का सा तार सप्तक का है अत: इस सा के ऊपर बिंदी लगाई गयी है)

इस तरह जब स्वरों को नीचे से ऊपर सप्तक में गाया जाता है उसे आरोह कहते हैं। और ऊपर से नीचे गाते वक्त स्वरों को अवरोह में गाया जाना कहते हैं।

और कुछ अलंकार देखिये-

२)सासा रेरे गग मम पप धध निनि सांसां ।
सांसां निनि धध पप मम गग रेरे सासा।

३) सारेग, रेगम, गमप, मपध, पधनि, धनिसां।
सांनिध, निधप, धपम, पमग, मगरे, गरेसा।

४) सारे, रेग, गम, मप, पध, धनि, निसां।
सांनि, निध, धप, पम, मग, गरे, रेसा।

५) सारेगमप, रेगमपध, गमपधनि, मपधनिसां।
सांनिधपम, निधपमग, धपमगरे पमगरेसा।

६)सारेसारेग, रेगरेगम, गमगमप, मपमपध, पधपधनि, धनिधनिसां।
सांनिसांनिध, निधनिधप, धपधपम, पमपमग, मगमगरे, गरेगरेसा।

७)सारेगसारेगसारेसागरेसा, रेगमरेगमरेगरेमगरे, गमपगमपगमगपमग, मपधमपधमपमधपम, पधनिपधनिपधपनिधप, धनिसांधनिसांधनिधसांनिध, निसांरेनिसांरेनिसांनिरेंसांनि, सांरेंगंसांरेंगंसांरेंसांगंरेंसां।

सांरेंगंसांरेंगंसांरेंसांगंरेंसां, निसांरेनिसांरेनिसांनिरेंसांनि,धनिसांधनिसांधनिधसांनिध, पधनिपधनिपधपनिधप, मपधमपधमपमधपम, गमपगमपगमगपमग, रेगमरेगमरेगरेमगरे, सारेगसारेगसारेसागरेसा।


स्वरों और हारमोनियम के बारे में-

http://www.sharda.org/VocalLesson1F.html

http://www.sharda.org/VocalLesson2F.html

http://www.sharda.org/VocalLesson3F.html

(आभार: इस वेबसाइट की जितनी भी तारीफ़ की जाये कम है। मुझे खुशी है कि भारतीय संगीत के ऊपर ऐसा एक जालघर मौजूद है। गूगल सर्च करते वक्त इस वेबसाइट का पता चला मुझे।)

अगली बार संगीत संबंधी कुछ ज़रूरी परिभाषायें...






18 comments:

नितिन | Nitin Vyas said...

मानोशीजी,

संगीत में ज्ञानवर्धन कराने के लिये धन्यवाद..अगले अंको का इंतजार रहेगा

hemanshow said...

बहुत अच्छा प्रयास है मनोशी बहन।
मैने भी कुछ ऐसा ही प्रारम्भ किया है अपनी www.kalakari.com पर। देखे http://kalakari.com/misc/music/music_main.html ।
संगीत प्रेम बचपन मे विद्यालय की प्रार्थनाओ से शुरु हुआ और गत २ वर्षो से मे न्यु जर्सी (अमरीका) मे हिन्दुस्तानी संगीत की विधिवत शिक्षा ले रहा हू।

Neelam said...

I am in search of the notes of the songs for my father.
If it is the notes for folk songs, bhajan or arti, then it will be great.

Can anybody let me know from where i can download the same.

It should be in Hindi

Thanks

Marged Trumper said...

मानोशीजी,

आपके पाठ बहुत दिल्चस्प हैं और आपकी आवाज बहुत सुरीली है! मैं इतालवी हूँ लेकिन मुझे भारतीय शास्त्रीय संगीत बहुत अच्छा लगता है. आशा है कि आप पोस्ट करती रहेंगी

Anonymous said...

बहुत बढ़िया मानोसी आपने बहुत अच्छी जानकारी दी मै भी संगीत सिखाता हूँ संगीत के बारे में कुछ और भी जानकारी दे ..............आपका बहुत-२ धन्यवाद्

Anonymous said...

मानोशी जी आप संगीत की सही जानकारी पाठकों को दे रही हैं यह सराहनीय काम है। बहुधा देखने में आ रहा है कि लोग संगीत के विषय में बहुत कम जानते हैं किन्‍तु किताबें लिख रहे हैं। उनके इस कार्य से संगीत का कितना नुकसान हो रहा है शायद वे नहीं जानते। यहां तक कि लोग अपने मन से चिन्‍हों को परिभाषित कर रहे हैं। नया खोजना अच्‍छी बात है किन्‍तु उसमें यथार्थ होना चाहिए। मैं भी संगीत सिखाता हूं किन्‍तु कोई गलत परंपररा नहीं डालता जब तक किसी विषय में सम्‍यक ज्ञान न हो किसी को नहीं बताना चाहिए।
आप आगे भी लिखती रहें।
शुभेच्‍छु
सर्वेश्‍वर, देहरादून।

Unknown said...

आदरणीय मानोशी जी, कोटि कोटि प्रणाम,
अगर आप को मैं संगीत के बारे में कुछ अपनी दिल की बातें कह सकता हूँ तो मेरा एक दुःख समझने की कृपा करें ओह क्या है की मैंने संगीत तो सिखा हैं मगर किसी मनुष्य से नहीं वल्कि एक लगन थी जो किताबों में लिखा संगीत से आज इस नतीजे पर पंहुचा हु की मुझे अब हिन्दुस्तानी पद्दति में जो राग, सरगम बजाय जाता है वोह किताब पढकर कभी पूरी नहीं हुई क्यों की मैंने आज तक जितना भी सिखा है वोह कुछ नहीं है जो आपके इस ब्लॉग में मिला है, सही में मैं एक गुलाब की चक्कर में था पर मुझको तो पूरी बगान मिल गयी, जरा सरगमो के बारे में थोडा वोकल अभ्यास दीजिये न यह आत्मा जो सरगम के बिना अधुरा है पूरा हो जायेगा, मेरे पास आज जितने भी ज्ञान थी संगीत के विषयों में वोह एक अन्धकार में थी आपके इस ब्लॉग पढने के बाद मेरा जो खवाब था धन्य धन्य होगया जैसे की एक सुबह की लाली के भाती मेरे आत्मन को छू कर गुजर गयी, अब मैं आपका इस ब्लाग को एक गुरु से भी बढ़कर मानने लगा हूँ, क्यों की इस में मैंने जो पाया है वोह मुझे कभी कही इस तरह भटकते हुए नहीं मिला था,

मैंने अपने जीवन में एक लक्ष्य रखा है वोह है संगीत की उस हद तक छूने की अगर आपकी कृपा बनी रहे तो मैं उस हद को यकीनन छू सकता हूँ, मेरे लिए आप एक परमात्मा के भाति हो, जो गुरु मेरे सास्वत जीवन में नहीं मिला, जिसके लिए मैं सालों से अपने अन्दर खोजता था वोह शायद आप ही है नहीं तो मुझे ऐसा प्रतीत नहीं होता शायद, क्यों की मैं तो अब तक सिर्फ एक तोता था जिसे जो सुने देता था वोही बोलता चला आया था अब मेरा मगज में कुछ सच्ची संगीत की धुनें समाई हैं जो आपके इस ब्लाग की नतीजा है, मैं कैसे कहू की सपना जब सही प्रतीत होता है ऐसा ही हो रहा हैं अभी मेरे अन्दर, जिस के लिए मैं आपका आत्मन को प्रणाम किये बिना कैसे रह सकता हूँ !

Anonymous said...

खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित
है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर
शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें
वर्जित है, पर हमने इसमें अंत
में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
..

हमारी फिल्म का संगीत वेद
नायेर ने दिया है... वेद
जी को अपने संगीत कि प्रेरणा
जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती
है...
Feel free to surf my web site ; खरगोश

Anonymous said...

Vary nice information regarding indian music

अमरीश गोयल मुज़फ्फरनगर said...

हार्दिक साधुवाद !
भारतीय संगीत की सच्ची सेवा के लिए

suresh khandekar said...

I love my india

Dj HPS said...

धन्यवाद

virensai said...

बोहतही बढीया अलंकार

Siddharth Arora Sahar said...

ऐसे ब्लॉग के रहते शास्त्रीय संगीत का झंडा हमेशा ऊँचा रहेगा!
जो जानकारी आप यहाँ 'फ्री ऑफ़ कास्ट' दे रहे है, इसके लिए कुछ संगीत शिक्षक दो से ढाई हजार रूपए तक ले रहे है!

आपको बहुत बहुत साधुवाद!

नोबेल वर्क कर रहे है आप ! अगर कोई मदद कर सकूँ तो ख़ुशी होगी !

'सहर'

Unknown said...

Thank you , it's better good..

Unknown said...

उपयुक्तम्

Unknown said...

सर कृपया अलंकारो का संपूर्ण चार्ट हिंदी में उपलब्ध कराएं ताकि अलंकारों को भिन्न तरीके से बजाया जा सके और गले को अभ्यास कराया जा सके


मैं निराश हूं क्या आपने अपनी इतनी अनमोल जानकारी इंग्लिश भाषा में दी है

Anonymous said...

Thanks